शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

भारत माँ

भारत माँ की इस धरती पर
माँ अब भी आसू पीती है
अपनी घांघर को फाढ -फाढ
अपना आँचल वह सीत़ी है

बच्चे के प्याले में दूध नहीं
चौके में कलसा खाली है
बाबु के हातो में फिर कैसे
प्याला शराब का होता है

गंगा माँ की इस धरती पर
पानी तक मैला मिलता है
जब पीने का पानी साफ़ नहीं
कैसे मधुशाला खुलता है

माँ के स्तन में दूध नहीं
बच्चे का बचपन भूका है
जिस देश का बचपन भूका है
उस देश का योवन क्या होगा

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